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लगभग देढ़ साल हो चुके है कोविड-१९ को हमारे देश (भारत) में आकर और इस भयंकर महामारी के चपेट मे हमें और हमारे बहुत सारे परिवार के सदस्यों को तकलीफ पहुँची है I कोविड-१९ के कारण बहुत दिक्कतें हुई है उन में से एक दिक्कत ये भी रही है की हमारे काम करने के तरीकों मैं बहुत बदलाव आए हैI जो काम और चीज़े हम पहले ऑफिस/कार्यलय से करते थे उन्हें अब हम घर से करने की कोशिश कर रहे है और जिसे हम वर्क-फॉर्म-होम भी कहते है I
हम (प्रसाद और सिद्धेश) यहाँ अपनी शाला संस्था में ह्यूमन रिसोर्सेज और एडमिन का काम सँभालते है। हमने पिछले पूरे साल में हमारे टीम के साथ काफी नज़दीक से उनके सपोर्ट में काम किया है। हमारा काम कभी एडमिन सपोर्ट के, जैसे की लैपटॉप की सुविधा, या कभी टीम के घर से या ऑफिस से काम कर पाने के दिक्कतों से जुड़ा हैं। हम दोनों आज हमारे इस लेख से यह कोशिश कर रहे है की, कार्यालय से काम करने की सुविधा मिलने के वजह से कर्मचारियों को उनके वेलबिंग और काम करने में कैसे सहायता प्रदान हुई – वह साँझा कर सके।
नव भारत टाइम्स के मोहन गिरी द्वारा लिखे गए लेख, “कोरोना लॉकडाउन में खतरनाक समस्याएं झेल रहे वर्क फ्रॉम होम वाले प्रोफेशनल्स”, में उन्होंने ने बताया है की वर्क-फ्रॉम-होम वाले प्रोफेशनल्स को किस तरह से परेशानी हो रही है, उन्होंने अपने इस लेख मैं यह चार बड़ी समस्याएं बताई हैं:
(१ ) वर्क फ्रॉम होम बन गया परिवार के बीच विवाद का कारण।
(२ ) काम करने के समय में हुआ हिजाफा, कुछ लोग ६ के बदले १२ घंटे कर रहे है काम।
(३ ) सेहत के लिए खतरनाक है गैजेट का लंबे वक्त तक प्रयोग।
(४ ) आँखों पे असर और तनाव बढ़ रहा है।
इसको अधिक गहराई से समझने के लिए हमने हमारे सहकर्मियों से बात-चीत की और वर्क-फ्रॉम-होम के फायदे और नुकसान क्या है वह समझने की कोशिश की। इसे पढ़ते वक्त ये भी जानना ज़रूरी होगा की अपनी शाला में हमारी टीम में ज्यादातर लोग विद्यार्थियों के साथ स्कूल में सामाजिक भावनात्मक शिक्षा के फैसिलिटेटर या क्लासरूम टीचर, हेल्पर आदि हैं। उनकी संस्था में भूमिका का भी, उनके घर से काम कर पाने पर असर पड़ा है। वर्क फॉर्म होम करने के कुछ फायदे जो उभर के आये :
- यात्रा के समय में कटौती के रूप में अपने कार्यों पर अधिक गुणवत्ता और उत्पादक समय बिता पाना।
- अपने कार्य को प्राथमिकता देने और अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें समयबद्ध करने में अधिक समय दे पाना।
- एकाकी परिवार में रहने के कारण ध्यान से काम कर पाना।
- समय की फ्लेक्सिबिलिटी।
- शारीरिक और मानसिक भलाई की जरूरतों पर ध्यान दे पाना, उदाहरण के लिए- ब्रेक लेना, मेडिटेशन करना, स्ट्रेचिंग करना, झपकी लेना आदि।

वर्क-फॉर्म-होम करने के कुछ नुकसान जो उभर के आये –
- अतिव्याप होने के कारण परिवार और काम के समय को बनाए रखने में मुश्किलें ।
- दिनचर्या बिघड़ने के कारण काम के समय में बढ़ोतरी।
- प्रेरणा की कमी क्योंकि कोई सहकर्मी से बातचीत न हो पाना और उनका समर्थन न मिल पाना।
इस लेख के माध्यम से हम समझना चाहते थे की, हमारे साथ हमारे संस्था में जो लोग काम कर रहे है वो वर्क फ्रॉम ऑफिस और वर्क फ्रॉम होम को लेकर कैसा महसूस कर रहे है। जैसे- जैसे कोविड-१९ से हमे थोड़ी राहत मिली और गवर्नमेंट से आदेश आया की ३०-५० प्रतिशत कार्यालय हम शुरू कर सकते है, वैसे ही हमने हमारे सारे सहकर्मियों को सूचित कर दिया की जो कर्मचारी ऑफिस आकर काम करना चाहते है वह ऑफिस आ सकते है। जो लोग ऑफिस आने लगे उनसे हमने जाकर फिर बात की, और नीचे दिए कुछ सवालों पर चर्चा की:
- घर के जगह पर ऑफिस से काम करने की मिली हुई इस सुविधा के वजह से कैसा महसूस हो रहा है?
- क्या ऑफिस ओपन होने से कुछ बदलाव लग रहा है?
- काम करने के तरीके में कोई बदलाव हुवा है?

१) वर्क फॉर्म होम करते वक्त क्या क्या दिक्कते आयी ?
टीम मेंबर १ ने बताया की “वर्क फ्रॉम होम करते वक़्त सबसे बड़ी दिक्कत आयी फोकस की। घर में इतनी सारी चीजे दिनभर में होती रहती है जिसमे काम पे ध्यान देना बहुत ही ज्यादा कठिन हो जाता था। जब-वर्क-फ्रॉम होम शुरू हुआ, वो तो सबके लिए ही नया था। मतलब मेरे लिए भी और घरवालों के लिए भी। शुरवात में इंटरनेट के चैलेंज के साथ-साथ एक जगह पर बैठकर काम करना, सोच पाना, घरवालों को बार-बार याद दिलाना की मैं घर पर हूँ पर काम में हूँ, और उसी मे कभी-कभी, लाइट चली जाती थी या फिर बारिश परेशान करती थी।”
टीम मेंबर २ ने बताया की घर से जब वह काम कर रहे थे/थी तो उन्हें बहुत दिक्कत हुई जैसे की उनका घर ज्यादा बड़ा नहीं है तो घर में स्पेस की कमी थी और वह सेशन भी लेते थे/थी जिसको करने में बहुत दिक्कत होती थी। साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया की घर से काम करते वक़्त उन्हें ज्यादा प्रेशर फील होता था। और वह पूरा दिन और रात काम करते थे। जिसके कारण उनके टाइम मैनेजमेंट पर बहुत घातक असर हो रहा थाI
टीम मेंबर ३ ने बताया की वर्क-फ्रॉम-होम से उन्हें यह दिक्कत आयी की उनके साथ कोई बात करने वाला नहीं होता था, स्पष्ट रूप से कहा/बताया जाये तो जैसे हम ऑफिस में एक दूसरे के साथ बैठ के किसी सामान्य टॉपिक पे बात कर सकते है, जिससे टीम बिल्डिंग भी होती है, लेकिन घर से काम करते हुए इस तरह की चर्चा कर पाने के मौके नहीं मिलते।

२) वर्क-फॉर्म-होम से आपके वेलबिंग पर क्या असर हुआ?
टीम मेंबर १ ने कहा, “कुछ चीजे पॉजिटिव रही जैसे की ट्रवेलिंग कम हो गयी पर साथ में पूरा दिन एक जगह पर बैठकर काम करेने से फिजिकल बॉडी पर काफी असर हुआ – पीठ का दर्द, आँखे लाल होना, सर दुखना ये तो रोजाना के दर्द बन गए। साथ ही, अगर मैं मीटिंग में हूँ तो ही काम हो रहा है वरना कोई काम नहीं इस कांसेप्ट से आज भी घर वालों को मै बाहर नहीं निकाल पायी हूँ! हर वक़्त बताना पड़ता है की मै क्या काम कर रही हूँ और वो इम्पोर्टेन्ट है। हर वक़्त हर चीज़ का एक्सप्लेन करना थकाने वाला काम है।”
टीम मेंबर २ ने बताया की, जैसे की उन्होंने ने ऊपर भी बोला की उनका प्रेशर हाई हो गया था उन्हें तनाव महसूस हो रहा था। उनकी वेलबिंग पर इस तरह से तनाव रहा था। उन्होंने यह भी बताया की कई बार गुस्सा की भावना उनमे ज्यादा आने लगी थीI
टीम मेंबर ३ ने हमे यह बताया की उन्हें उनका काम बहुत पसंद है लेकिन जब वह घर पर अकेले काम करते थे तो उन्हें बहुत सारा सेल्फ-डाउट आता था। उन्हें अपने काम पर बहुत ज्यादा फ़िक्र और टेंशन होने लगा था। उन्होंने ने यह भी बताया की अकेले-अकेले काम करते हुए कैसे उनका आत्मा विश्वास कम हो रहा था।

३) वर्क-फॉर्म-ऑफिस से आपके वेलबिंग पर क्या असर हुआ?
टीम मेंबर १ ने बताया, “वर्क-फ्रॉम-ऑफिस से काम पर फोकस करने में बहुत ज्यादा मदद मिलती है – एक डेडिकेटेड फुल टाइम दे पाते है और साथ ही फिजिकल मूवमेंट करना आसान होता है। अगर किसी चीज़ पर किसी और की राय जाननी है तो वो करना आसान हो जाता है। ट्रैन बंद होने के कारण ट्रेवल एक्सपेंसिव है, पर काम पूरा होता है और शांति से हो पता है उसकी ख़ुशी ज्यादा है।”
टीम मेंबर २ ने यह बताया की जैसे उन्हें यह पता चला की ऑफिस रीओपन हो रहा है वह बहुत खुश हुए। उन्होंने तय किया की कम-से-कम हफ्ते में ३ बार वह ऑफिस जायेंगे। ऑफिस में उनके साथ बातचीत होने लगी तो उनका तनाव कम होता गया और वह अपना समय पहले से बेहतर तरीके से संभाल पा रहे थे।
टीम मेंबर ३ ने यह बताया की ऑफिस आने से बाकी लोगो के सामने उनको अपने आप को एक्सप्रेस करने का मौका मिला। उन्हें अपने विचार पे चर्चा करने मिला जिससे उनका आत्म-विश्वास बढ़ा और वह वापस से पूरे एनर्जी के साथ अपना काम करने लगे I

४) वर्क फॉर्म ऑफिस करते वक्त ऑफिस के कर्मचारियों के साथ के संबंधों पर क्या असर हुआ?
हमारे एक सहकर्मी ने बताया की ऑफिस से काम करने से मुझे सहकर्मियों के साथ फिर से जुड़ने में मदद मिली है। यह मुझे कुछ विषयों पर चर्चा करने और दोपहर के भोजन के समय सहकर्मियो के साथ बात करने का अवसर देता है। यह मुझे एक दिनचर्या स्थापित करने और उसका पालन करने में सक्षम बनाता है। मेरे लिए समय को मैनेज करना आसान हो जाता है।
हमारी टीम से बात-चीत और रिफ्लेक्शंस से ये जाहिर होता है की कैसे वर्क-फॉर्म-ऑफिस से अपनी शाला के टीम मेम्बर्स के मेंटल वेल्लबिंग पर एक पॉजिटिव इम्पैक्ट / असर पडा हैI साथ ही ऑफिस से काम करने के कारण काम मे बढ़ोतरी हो सकती है, हमारे टीम मेम्बर्स और अच्छे तरह से अपना काम कर सकते हैI वर्क-फॉर्म-ऑफिस से काम करने से टीम मेम्बर्स को मौका मिलता है की बाकी टीम मेंबर्स से मिले, बातचीत करे, अपनी बातों को उनके सामने व्यक्त करे, और उन्हें ऐसा लगता है की कोई उन्हें सुने और उन्हें समर्थन करे। साथ ही एक ऐसी जगह मिले जहा वो ध्यान देकर अपना काम कर पाए और बैठने और काम करने के लिए सुविधा हो।
ऑफिस यह एक कर्मचारी के जीवन में महत्वपूर्ण जगह होती है I कर्मचारी मिल कर् उस जगह को अपने लिए महफूज़, सुरक्षित और स्नेहपूर्ण जगह बनाते हैI
नोट – टीम मेंबर की फिजिकल सेफ्टी को ध्यान में रख कर, अपनी शाला की HR टीम ने वर्क-फ्रॉम-ऑफिस की पालिसी बनायी है जो कोविड-१९ से जुडी वर्कप्लेस गाइडलाइंस का पालन करती है।
लेखक:
प्रसाद तेली अपनी शाला में ह्यूमन रिसोर्सेस असोसिएट के तौर पर पिछले देढ़ साल से काम कर रहे हैं। अपनी शाला से जुड़ने के पहले उन्होंने सलाम बॉम्बे में इंटरशिप किया और ह्यूमन रिसोर्सेस में मास्टर की पढाई की है। प्रसाद अपने खाली समय में कुकिंग करना पसंद करते हैं।
सिद्धेश भोसले अपनी शाला के साथ २०१६ से जुड़े हैं। वो एडमिन सपोर्ट का काम संभालते हैं।उन्होंने बैचलर इन सोशल वर्क की पढाई पूरी की है। सिद्देश अपने खाली समय में क्रिकेट खेलना और ट्रेकिंग करना पसंद करते हैं।